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Saturday, June 27, 2015

दुर्गा का अपमान


घुन लग गयी है
लोगो की सोच मे ,
दिमाग खाली हो गया है
गुरू शिष्य की गरिमा को
ताक पर रख दिया है ,
इसे भी जोड़ दिया है
देह की लालसा से ,
सरस्वती को पा कर अभिमान
से भर गए हैं या
गिर गए हैं ,
तभी तो दुर्गा का अपमान
करने की हिम्मत आई ,
अब दुर्गा को ही फिर से
रोद्र रूप धरना होगा ,
ताकी नाश कर सके इन
मुखौटों के पीछे छिपे
महिसासुरों का.............

रेवा


13 comments:

  1. sachhi baat hai ji.....bahut sundar

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  2. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, काम वाला फ़ोन - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (28-06-2015) को "यूं ही चलती रहे कहानी..." (चर्चा अंक-2020) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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  4. सत्य की सुन्दर अभिव्यक्ति

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  5. आमीन ... अब समय आ गया है सभी योगिक शक्तियों को जागृत होना होगा ... समाज के लिए ...

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  6. सच है समय आ ही गया है प्रेरक प्रस्तुती

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  7. सटीक और सामयिक रचना

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  8. वाह...बेजोड़ भावाभिव्यक्ति..

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