जब हवा का झोंका मुझे होले से स्पर्श करता है
तो लगता है के तुम हो ,जब हवा का झोंका मेरे बालों को सहलाता है
तो लगता है के तुम हो ,
जब हवा का झोंका मेरे आंचल से खेलता है
तो लगता है के तुम हो ,
जब हवा का झोंका मेरे कानों को छू कर जाता है
तो लगता है तुमने हौले से कुछ कहा है ,
ये कैसे जज्बात है, ये कैसे एहसास है
जो बस तुम्हे ही ढूंढते है ,तुम्हे ही महसूस करते है हर जगह /
बस तुम्हे ही ....
रेवा
कल 31/10/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
yashwant ji bahut bahut shukriya apka
ReplyDeleteकोमल भावों से सजी रचना ...सुन्दर
ReplyDeleteसुन्दर रचना....
ReplyDeleteसादर...
खूबसूरत कोमल अहसास
ReplyDeleteaap sabka bahut bahut shukriya
ReplyDelete