क्या तुमने कभी सोचा है
बारिश की बूंदों और ठंडी हवाओं के साथ
मन कितनी उड़ाने भरने लगता है........
उस वक़्त हर पल हर जगह मन बस
तुम्हे ही ढूंढने लगता है.......
लगता है इस सुहाने मौसम में
बस तुम हो, मैं हूँ और हमारा प्यार हो
खुद में सिमटी तुम्हारे काँधे पर सर रखे
बारिश में भीगते हम बस चलते चले जाये........
न कोई डर न कोई खबर
अनगिनत बातें, अनगिनत ऐसी मुलाकाते
और हम तुम बस ऐसे ही चलते चले जाये.....
क्या तुमने कभी सोचा है.....
रेवा
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