दूर रह कर दूर रहना आता है मुझे
पास रह कर दूर रहना सिखा दे मुझे ,
बिना मिले तुझे महसूस करना आता है मुझे
मिल कर भी तुझे न पाना सिखा दे मुझे ,
टूट कर प्यार करना आता है मुझे
प्यार कर के टूट जाना सिखा दे मुझे ,
चैन गवां कर बेचैन होना आता है मुझे
चैन पा कर भी बेचैन होना सिखा दे मुझे ,
दुःख मैं भी सुख ढूँढना आता है मुझे
सुख मैं भी दुखी होना सिखा दे मुझे ,
प्यार के बिना जीना आता है मुझे
प्यार दे कर भी तडपना सिखा दे मुझे ,
जी कर मरना आता है मुझे
मर कर जीना सिखा दे मुझे ,
दूर रह कर दूर रहना आता है मुझे
पास रह कर दूर रहना सिखा दे मुझे l
पास रह कर दूर रहना सिखा दे मुझे ,
बिना मिले तुझे महसूस करना आता है मुझे
मिल कर भी तुझे न पाना सिखा दे मुझे ,
टूट कर प्यार करना आता है मुझे
प्यार कर के टूट जाना सिखा दे मुझे ,
चैन गवां कर बेचैन होना आता है मुझे
चैन पा कर भी बेचैन होना सिखा दे मुझे ,
दुःख मैं भी सुख ढूँढना आता है मुझे
सुख मैं भी दुखी होना सिखा दे मुझे ,
प्यार के बिना जीना आता है मुझे
प्यार दे कर भी तडपना सिखा दे मुझे ,
जी कर मरना आता है मुझे
मर कर जीना सिखा दे मुझे ,
दूर रह कर दूर रहना आता है मुझे
पास रह कर दूर रहना सिखा दे मुझे l
रेवा
Oh ! Kaisee tadap in alfazon me!
ReplyDeletehttp://shamasansmaran.blogspot.com
http://kavitasbyshama.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
http://shama-kahanee.blogspot.com
http://baagwaanee-thelightbyalonelypath.blogspot.com
वाह ! क्या लिखती हैं आप ...! अभी तो केवल दो रचनाएँ पढी हैं ...और पढने जा रही हूँ ...एक कसक -सी उठी है दिलमे ..एक दर्द जिसे आपने बार,बार ज़ुबाँ दी है..!
ReplyDeleteदूर रह कर दूर रहना आता है मुझे ,
ReplyDeleteपास रह कर दूर रहना सिखा दे मुझे .
jab bhi khud ki tadap ko shabdo ki aawaaz di hai..log kehte hai unke zakhomo ko aawaaz di hai..
bahut hi dard bhari rachna hai...
-Sheena
VERY GOOD WRITTEN
ReplyDeleteएक शब्द हे 'बेचैनी', प्यार मै जब जब फासलों का अहसास जगता हे , भावनाएं उद्वेग को प्राप्त करती हे , समझने को हम इस बचैनी का कारण 'कशिश' मान लेते हे पर सच मनो ये ही तो हमारे भीतर 'कसक' बन जाग हमको रुलाती हे ....मै जायदा ना कह बस ये ही कहूँगा हम इस तरह 'मुग्द' भी रहते हैं और अस्थिर भी ,परन्तु ये 'लालसा' बन हमको सदा विचलित ही रखती हे!
ReplyDeleteये ही सभी कुछ भक्ति मै भी होता हे जब हम अपने प्रभु के प्रति समर्पित होते हैं , पर उस मै 'पाने' की लालसा कम , जुड़े रहने की लालसा अधिक होती हे !
सच मानो आपकी कविता मै 'प्यार' पाने से अधिक जुडे रहने की जायदा चाहा हे!
आपको कविता लिखने की मुबारकबाद वा हम सभी का आभार !
दूर रह कर दूर रहना आता है मुझे ,
ReplyDeleteपास रह कर दूर रहना सिखा दे मुझे ....i hv no words..really like...behad khoobsurat....