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Thursday, May 20, 2010

कैसी है ज़िन्दगी

किसी ने एक दिन मुझसे प्रशन किया
बता कुछ अपनी ज़िन्दगी के बारे में
मैं सोच में थी की क्या जवाब दू क्या बताऊ
कैसी है ज़िन्दगी ................

क्या बताऊ की हर पल एक अधूरेपन का एहसास है ज़िन्दगी
हर चीज़ मिली है किस्तों में .............
अधुरा बचपन अधुरा यौवन
अधुरा प्यार अधूरी दोस्ती
अधूरी हंसी अधूरी ख़ुशी
अधूरे बिखरे सपने
अधूरे मेरे अपने ........

क्या बताऊ कैसी है ज़िन्दगी ......
आंसू की धार है ज़िन्दगी
उदासी गले का हार है ज़िन्दगी
क्या बताऊ की कैसी है ज़िन्दगी ................

रेवा

4 comments:

  1. kya baat hai ,....
    sach hi kaha aapne..is zindagi ke baare mein shabd kam pad jaate hain...
    bahut hi achhi rachna....
    -----------------------------------
    mere blog par meri nayi kavita,
    हाँ मुसलमान हूँ मैं.....
    jaroor aayein...
    aapki pratikriya ka intzaar rahega...
    regards..
    http://i555.blogspot.com/

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  2. Jindagi Adhuri lagti jarur hai par sahi mayne mei Jindagi bahut hasin hai or complite hai,
    aap phir se review kijiye....................

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  3. बहुत सुन्दर रचना ,,,बहुत खूब

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  4. mere blog par...
    तुम आओ तो चिराग रौशन हों.......
    regards
    http://i555.blogspot.com/

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