क्या लिखूं की आज एहसासों को शब्दों
में ढालने की कोशिश नाकाम हो रही है , क्या लिखूं अपने मन की उलझन या
पीड़ा ,या कुछ प्रशन ?
क्या अपने लिए जीना गुनाह है ?
जब तक आप लोगों के लिए ,
उनकी ख़ुशी के लिए जीयो
में ढालने की कोशिश नाकाम हो रही है , क्या लिखूं अपने मन की उलझन या
पीड़ा ,या कुछ प्रशन ?
क्या अपने लिए जीना गुनाह है ?
जब तक आप लोगों के लिए ,
उनकी ख़ुशी के लिए जीयो
आप अच्छे हो ,
जहाँ आप अपने लिए जीने की कोशिश करो ,
तो आप स्वार्थी हो ,
जहाँ आप अपने लिए जीने की कोशिश करो ,
तो आप स्वार्थी हो ,
वाह री दुनिया ,वाह रे लोग ,
क्या लिखूं उस उलझन को के जब तक प्यार नहीं था जीवन में ,
क्या लिखूं उस उलझन को के जब तक प्यार नहीं था जीवन में ,
तब तक पता ही नहीं था की प्यार क्या होता है ?
अब जब है ,तो पता नहीं सही या गलत ?
क्या लिखू की एक अंतहीन पीड़ा है मन में
हर पल सही होते हुए भी गलत ठहराया जाना ,
हर पल दोस्ती के लिए जान देते हुए भी ,ठुकराया जाना ,
पूरा प्यार न्योछावर करते हुए भी , उसके लिए भीक मांगना ,
जिस से प्यार की आशा हो ,
अब जब है ,तो पता नहीं सही या गलत ?
क्या लिखू की एक अंतहीन पीड़ा है मन में
हर पल सही होते हुए भी गलत ठहराया जाना ,
हर पल दोस्ती के लिए जान देते हुए भी ,ठुकराया जाना ,
पूरा प्यार न्योछावर करते हुए भी , उसके लिए भीक मांगना ,
जिस से प्यार की आशा हो ,
उससे बस ,जिम्मेदारी और तिरस्कार पाना ,
जिससे कोई रिश्ता नाता न हो उससे प्यार मिलना ,
और फिर खुद को हर पल कठघरे में खड़ा करना l
क्या लिखूं की आज एहसासों ने
शब्दों का साथ छोड़ दिया है l
रेवा
जिससे कोई रिश्ता नाता न हो उससे प्यार मिलना ,
और फिर खुद को हर पल कठघरे में खड़ा करना l
क्या लिखूं की आज एहसासों ने
शब्दों का साथ छोड़ दिया है l
रेवा
sab kuch to likh hi diya aapne...
ReplyDeleteshabdon ke jaal me buni gayi ek behtareen rachna..
yun hi likhte rahein..
regards
http://i555.blogspot.com/
फिर भी बहुत कुछ लिख डाला आपने
ReplyDeleteक्या लिखूं की एहसासों ने आज
ReplyDeleteशब्दों का साथ छोड़ दिया है........
-अक्सर ऐसा हो जाता है..अभिव्यक्ति के माध्यम से अच्छे भाव!
kya likhoon... wah ... ittefaq hai ki aaj hi maine bhi kya likhoon ko visay banaya... accha likha hai... bahut khoob..
ReplyDeleteजिससे कोई रिश्ता नाता न हो उससे प्यार मिलना ,
ReplyDeleteऔर फिर खुद को हर पल कठघरे में खड़ा करना ....
Aah!
क्या लिखूं की एहसासों ने आज
ReplyDeleteशब्दों का साथ छोड़ दिया है....
धैर्य ... सब ठीक हो जाएगा।
इतनी गहरी ..बात लिखकर ..कहते हो की 'क्या लिखूं' ...बस जैसा लिखा है उस से बेहतर कुछ नहीं ....बहुत शानदार प्रस्तुति .....ek baar फिर मान गए .....
ReplyDeleteBAHUT KHUB
ReplyDeleteBADHAI AAP KO IS KE LIYE
अभिव्यक्ति के माध्यम से अच्छे भाव!
ReplyDeleteजब पता नहीं था के क्या लिखना है, तब ये आलम है!
ReplyDeleteअगर पता होता तो....?
अच्छी रचना!
Really very good poetry...
ReplyDeleteAab mai kya likhu...
जब तक आप लोगों के लिए.... उनकी ख़ुशी
के लिए जीयो , आप अच्छे हो ....
जहाँ आप अपने लिए जीने की कोशिश करो ,
आप स्वार्थी हो....वाह री दुनिया ....वाह रे लोग.....
Solid Wording...
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ReplyDeleteapp sabka bahut bahut shukriya
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