Followers

Sunday, May 2, 2010

क्या लिखूं

क्या लिखूं की आज एहसासों को शब्दों
में ढालने की कोशिश नाकाम हो रही है , 
क्या लिखूं अपने मन की उलझन या
पीड़ा ,या कुछ प्रशन ? 

क्या अपने लिए जीना गुनाह है ?
जब तक आप लोगों के लिए ,
उनकी ख़ुशी के लिए जीयो  
आप अच्छे हो ,
जहाँ आप अपने लिए जीने की कोशिश करो ,
तो आप स्वार्थी हो ,
वाह री दुनिया ,वाह रे लोग ,


क्या लिखूं उस उलझन को के जब तक प्यार नहीं था जीवन में ,
तब तक पता ही नहीं था की प्यार क्या होता है ?
अब जब है ,तो पता नहीं सही या गलत ?


क्या लिखू की एक अंतहीन पीड़ा है मन में
हर पल सही होते हुए भी गलत ठहराया जाना ,
हर पल दोस्ती के लिए जान देते हुए भी ,ठुकराया जाना , 
पूरा प्यार न्योछावर करते हुए भी , उसके लिए भीक मांगना ,
जिस से प्यार की आशा हो , 
उससे बस ,जिम्मेदारी और तिरस्कार पाना ,
जिससे कोई रिश्ता नाता न हो उससे प्यार मिलना ,
और फिर खुद को हर पल कठघरे में खड़ा करना l 

क्या लिखूं की आज एहसासों ने  
शब्दों का साथ छोड़ दिया है l 

रेवा

13 comments:

  1. sab kuch to likh hi diya aapne...
    shabdon ke jaal me buni gayi ek behtareen rachna..
    yun hi likhte rahein..
    regards
    http://i555.blogspot.com/

    ReplyDelete
  2. फिर भी बहुत कुछ लिख डाला आपने

    ReplyDelete
  3. क्या लिखूं की एहसासों ने आज
    शब्दों का साथ छोड़ दिया है........

    -अक्सर ऐसा हो जाता है..अभिव्यक्ति के माध्यम से अच्छे भाव!

    ReplyDelete
  4. kya likhoon... wah ... ittefaq hai ki aaj hi maine bhi kya likhoon ko visay banaya... accha likha hai... bahut khoob..

    ReplyDelete
  5. जिससे कोई रिश्ता नाता न हो उससे प्यार मिलना ,
    और फिर खुद को हर पल कठघरे में खड़ा करना ....
    Aah!

    ReplyDelete
  6. क्या लिखूं की एहसासों ने आज
    शब्दों का साथ छोड़ दिया है....
    धैर्य ... सब ठीक हो जाएगा।

    ReplyDelete
  7. इतनी गहरी ..बात लिखकर ..कहते हो की 'क्या लिखूं' ...बस जैसा लिखा है उस से बेहतर कुछ नहीं ....बहुत शानदार प्रस्तुति .....ek baar फिर मान गए .....

    ReplyDelete
  8. BAHUT KHUB

    BADHAI AAP KO IS KE LIYE

    ReplyDelete
  9. अभिव्यक्ति के माध्यम से अच्छे भाव!

    ReplyDelete
  10. जब पता नहीं था के क्या लिखना है, तब ये आलम है!
    अगर पता होता तो....?
    अच्छी रचना!

    ReplyDelete
  11. Really very good poetry...

    Aab mai kya likhu...

    जब तक आप लोगों के लिए.... उनकी ख़ुशी
    के लिए जीयो , आप अच्छे हो ....
    जहाँ आप अपने लिए जीने की कोशिश करो ,
    आप स्वार्थी हो....वाह री दुनिया ....वाह रे लोग.....

    Solid Wording...

    ReplyDelete
  12. This comment has been removed by a blog administrator.

    ReplyDelete