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Wednesday, January 19, 2011

आज फिर

आज फिर वही हुआ ,
प्यार भरे गीत सुने
प्यार भरे लम्हे देखे,
तो आंखें भर आईं ,
दिल मै कहीं,
एक ख्वाइश 
कुलाचे मारने लगी ,
जबकि जानती हूँ
वो कभी पूरी न होगी ,
फिर भी हर  बार
सपने देख हि लेती हूँ ,
शायद यहीं मेरा
सबसे बड़ा गुनाह है 
या मेरे जीने का सहारा l 




रेवा

9 comments:

  1. सुन्दर कविता
    आरजू कभी पूरी नही होती लेकिन जीने का सहारा होती है।

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  2. शब्द जैसे ढ़ल गये हों खुद बखुद, इस तरह कविता रची है आपने।

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  3. वाह ! बेहद खूबसूरती से कोमल भावनाओं को संजोया इस प्रस्तुति में आपने ...

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  4. bahut umda rachna hai ...sundar...!!

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  5. उसका ख्याल उसकी बातें उसको ही सोचता हूँ,
    उसकी याद ने दुनियाँ से बेगाना हमें बना दिया,

    प्यार में जलने का मज़ा भी तो लेकर देखें,
    वह शमा है तो खुद को परवाना बना दिया..!

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