आज मन बहुत व्यथित हुआ
पहली बार सृजन की दुनिया
से जुड़ने का दुःख हुआ ,
जब हर तरफ देखा की
रचनाकार रचना छोड़ कर
एक दुसरे पर कटाक्ष
करने मे लगे हैं ,
भावनाओं से जुड़ी कोमल
पंक्तियाँ लिखते लिखते
कांटे कैसे लिखने लगे ,
कैसे एक दुसरे से विवाद
करने लगे ,
हम राजनेता कब से
बन गए ,
ये बड़े दुःख की बात है की
हम सृजन करते करते
शोसन करने लगे ................
रेवा
यहाँ सब मुझसे रचना के माध्यम से senior हैं
कुछ गलत लगा हो तो छमा प्रार्थी हूँ ............
पहली बार सृजन की दुनिया
से जुड़ने का दुःख हुआ ,
जब हर तरफ देखा की
रचनाकार रचना छोड़ कर
एक दुसरे पर कटाक्ष
करने मे लगे हैं ,
भावनाओं से जुड़ी कोमल
पंक्तियाँ लिखते लिखते
कांटे कैसे लिखने लगे ,
कैसे एक दुसरे से विवाद
करने लगे ,
हम राजनेता कब से
बन गए ,
ये बड़े दुःख की बात है की
हम सृजन करते करते
शोसन करने लगे ................
रेवा
यहाँ सब मुझसे रचना के माध्यम से senior हैं
कुछ गलत लगा हो तो छमा प्रार्थी हूँ ............
आप ठीक कहती है आजकल ब्लाग जगत मे ऐसा शर्मनाक काम होने लगा है जो कि चिन्ता जनक है।
ReplyDeleteरेवा जी, मन की दशा को बडे सलीके से आपने उद्घाटित कर दिया। बधाई।
ReplyDelete---------
ज्योतिष,अंकविद्या,हस्तरेख,टोना-टोटका।
सांपों को दूध पिलाना पुण्य का काम है ?
रेवा जी ,नमस्कार.आप दुखी न हों.ऐसे लोगोंकी धरती पर कमी नहीं है .लेकिन ऐसे लोग अधिक टिकाऊ नहीं होते और उनकी छवि राजनेताओं जैसी होकर रह जाती है. इनका सफ़र भी मौसमी होता है.बस रचना कार्य में रमी रहे और सकारात्मक सोच के साथ बढ़ती रहे.
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