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Thursday, May 19, 2011

दिल की कश-म-कश


तुझसे मिलने की 
हर वक़्त 
एक व्याकुलता सी 
रहती है ,
कश-म-कश  चलती रहती 
है दिल मे ,
कभी सोचती  हूँ 
मिल कर क्या करुँगी 
क्या बात करुँगी ,
पर जवाब 
कुछ नहीं मिलता ,
हर वक़्त लगता है 
बस तू करीब हो 
तेरी आवाज़ सुनती रहूँ 
तेरी प्यार की बारिश मे 
भीगती रहू ,
तेरी बाँहों के साये मे 
बैठी रहूँ ,
कभी सोचती हूँ 
गर तू सच मे 
करीब आया ,
तो क्या मै
संभाल पाऊँगी 
अपने आप को ,
या बस पिघल 
कर रह जाउंगी ,
ये सारी बातें 
दिल मै एक तूफ़ान 
जगाती है ,
आंखें नम कर जाती है ,
कोशिश करती हूँ 
खफा हो जाऊ  तुझसे 
पर हर बार दिल कुछ 
बहाना कर के 
इस कोशिश को नाकाम 
कर देता है  ,
फिर रह जाता है 
बस प्यार भरा एहसास .............


रेवा 

8 comments:

  1. कोशिश करती हूँ
    खफा हो जाऊ तुझसे
    पर हर बार दिल कुछ
    बहाना कर के
    इस कोशिश को नाकाम
    कर देता है ,
    फिर रह जाता है
    बस प्यार भरा एहसास .............
    Kitnee nakaam koshish aur kitna pyara-sa ehsaas!

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  2. मन मोह लिया आपकी इस कविता ने
    बहुत सुन्दर

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  3. बहुत ही खूबसूरत रचना, आपकी लेखनी बहुत कम लफ्जों में बहुत बड़ी बात कह जाती है|

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  4. बहुत सुन्दर.....अति विशिष्ठ रचना !!

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  5. aap sabka bahut bahut shukriya...

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  6. kamlesh ji aap swagat hai mere blog mai

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  7. 'Love' seems your favourite topic Rewa...!! Most of the things I feel the same way, but you are good at expressing them in poetry form...!

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