आज तक बहुत कुछ
लिखा है ,
तुम्हारे और
अपने बारे मे ,
पर कभी
तुम्हारे आवाज़
के बारे मे
नहीं लिखा ,
शायद ये
समझ ही नहीं
पाई थी की ,
बिना मिले
बस हर दिन
तुम्हारी आवाज़
मुझे कितनी
उर्जा ,कितना
प्यार देती है ,
धीरे - धीरे
ये आवाज़
कब मेरी
ज़िन्दगी
बन गयी ,
पता ही
नहीं चला ..........
कब मेरी
ज़िन्दगी
बन गयी ,
पता ही
नहीं चला ..........
रेवा
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति , बधाई.
ReplyDelete.
कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें, आभारी होऊंगा .
सुन्दर भाव
ReplyDeleteशुभकामनाये
सुन्दर!
ReplyDeleteबहुत खूब रेवा जी।
ReplyDeleteसादर
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मोड़
अति सुन्दर पंक्तियाँ....
ReplyDeleteaap sabka bahut bahut shukriya.....
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteक्या कहने
ji shukriya apka
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