वो कॉलेज की सीढ़ी
का कोना ,
वो मम्मी को
जूठ बोलना ,
क्लास न होते
हुए भी कॉलेज आना ,
घंटों बैठे रहना ,
उन घंटो मे
पलों का खो जाना ,
वो रातों को बातें करना
मछछरों का काटना ,
रोज नज़रें बचा
कर मिलना ,
वो मुलाकातें , वो बातें
भुलाये नहीं भूलती
वो दिन ,वो रातें .........
रेवा
का कोना ,
वो मम्मी को
जूठ बोलना ,
क्लास न होते
हुए भी कॉलेज आना ,
घंटों बैठे रहना ,
उन घंटो मे
पलों का खो जाना ,
वो रातों को बातें करना
मछछरों का काटना ,
रोज नज़रें बचा
कर मिलना ,
वो मुलाकातें , वो बातें
भुलाये नहीं भूलती
वो दिन ,वो रातें .........
रेवा
Dil ko kaheen kachot gayee aapkee ye rachana!
ReplyDeleteवो कॉलेज की सीढ़ी
ReplyDeleteका कोना ,
...सब कुछ कह दिया......बेहतरीन रचना रेवा जी !!
बहुत ही अच्छी एवं एक ख़ास एहसास से लैस रचना के लिए दिल से बधाई
ReplyDeleteकालेज के दिन जिंदगी के सुनहरे दिन होते है उन्हें कोई कैसे भूल सकता है
ReplyDeleteसुन्दर कविता
बधाई
kshamadi , sanjayji , deppak ji........aap sabka bahut bahut shukriya
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना , बधाई स्वीकार करें .
ReplyDeleteItne sadharan se shabdo ko kitna sunder rang diya hai rewa....
ReplyDeletepurane din yaad dilwa diye...shayad sab ko apne din yaad aa gaye...
ek baar fir se......bahut umda rachna......
lots of luv to u..
keep it up.....
सुनहरे दिन!
ReplyDeleteबहुत सुंदर पंक्तियाँ...
ReplyDeleteमज़ा आ गया जी !!
S.N Shukla ji ,anupamaji bahut bahut shukriya
ReplyDeleteSansac ji...thanx for ur nicee compliments......it means a lot for me..
ReplyDeleteबेहतरीन रचना!!!
ReplyDeleteyou memorized me someone very special
Shekharji thanx a lot
ReplyDeletenamaskar rewa jee , aapne bite dino ki yad taza kar dee...........dhanyawad...
ReplyDeleteMunnaji......dhanayavad
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