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Wednesday, May 23, 2012

वाह ! ये पैसा

आज बहुत खुश थी  मै ,
18 साल बाद अपने सबसे प्यारी 
सखी से जो मिलने वाली थी  ,
कितनी बातें करनी थी  उससे 
आह ! लग रहा था 
इतने सालों की बातें 
बस मिनीटो मे  कर डालु ,
हम एक रेस्तौरेंट मे मिले 
पर समय के साथ 
लोग बदल जाते हैं 
सुना तो था 
पर देखा आज ,
पैसे का अहं 
हर बात मे दिखावा ,
अपनी शेखी बगारना 
वो मिलने नहीं बल्कि 
दिखाने आयी थी अपनी अमीरी ,
इस पैसे ने और एक इंसान को 
अपना गुलाम बना लिया ,
दुःख तो  इस बात का है 
की वो मेरी प्यारी सहेली थी /
वाह ! ये पैसा 

रेवा 



16 comments:

  1. Aah! Kitna afsos hua hoga aapko!

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  2. Samay ke saath bahut kuch badal jata hai. aur ye duniya ki fitrat hai ki jo jiske pass hai uski numais kerne me hi apna badappan samjhta hai.........
    waah! ye paisa
    sadar *****

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  3. समय और पैसा अच्छे-अच्छों को बदल देता है...

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  4. सच कहा आपने...पैसे की माया अजब निराली है जिसके पास होता है उसकी नीयत बादल देता है और जिसके पास नहीं होता वो सिर्फ रोता है।


    सादर

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  5. स्मृतियाँ जब टूटती हैं तो आवाज़ नहीं होती ...बस दर्द का सैलाब आता है ...और एक पर्त बन छा जाता है ...उनपर , उन्हें अस्तित्वविहीन करते हुए

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  6. pahle woh aapki saheli thi.....par...ab woh paise ki ghulam hai....
    shayad.....yeh song bilkul fit baith'ta hai...
    CHAANDI KI DEEWAR NA TODI...PYAAR BHARA DIL TOD DIYA......

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  7. पैसा तो अच्छे -अच्छे को बदल देता है..
    सुन्दर रचना:-)

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  8. बहुत सार्थक कविता लिखी हैं आपने ...आभार


    पर हाथ की सभी उंगलियाँ बराबर नहीं होती ...हर तरह के लोग हैं यहाँ

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  9. रेवा, दो भिन्न मानसिकता वाली सहेली का मिलन, एक के पास पैसा तो एक के पास संवेदना... दुःख होता है पर जीवन का ये रूप भी होता है. अच्छी रचना, बधाई.

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  10. अच्छे-अच्छों को बदल देता है पैसा
    फुर्सत मिले तो आदत मुस्कुराने की पर ज़रूर आईये

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