आज भी बचपन याद आता है
मस्ती भरे दिन
अल्हड़ हर पल छीन........
बारिश मे भीगना
कीचड़ मे खेलना
वो कागज़ की नाव बनाना.......
होली मे रंग बिरंगे
गुब्बारे मारना
और छिप जाना.......
आज भी बचपन याद आता है
तड़पता है दिल
भीगती हैं आँखें
याद कर वो दिन .......
पर ये भी सच है
ये जीवन चक्र है,
मगर दिल के एक कोने
मे एक बच्चा अभी
भी रहता है ,
बहार आने को जो मचलता है
पर जब जब वो बहार
आता है
उसे फिर से ये कह कर
धकेल दिया जाता है की
"इस उम्र मे इतना बचपना
शोभा नहीं देता है"
पर क्या करें
आज भी बचपन याद आता है
रेवा
bahut pyari kavita..bachpan ki yaad aa gayi, bahut madhur.
ReplyDeleteshukriya Vasu di
Deleteवाकई।
ReplyDeleteसार्थक प्रस्तुति।
shukriya mayank ji
Deleteसच...बचपन कहाँ भूल पाते हैं...बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावों को शब्दों में समेट कर रोचक शैली में प्रस्तुत करने का आपका ये अंदाज बहुत अच्छा लगा
ReplyDeleteshukriya Sanjay
DeleteShukriya rajendra ji
ReplyDeleteबचपन की यादें-- हमें गुदगुदाती रहती हैं.
ReplyDeletemissing the childhood... very nice composition di !
ReplyDeletethanx parul dear
Deleteshukriya kuldeep ji
ReplyDeleteUmdaA abhivyakti....!!
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