धो लिये आज आंसुओं से
अपने सारे गम........
भर ली अपनी झोली
फिर इन नमकीन
जल की धाराओं से
चाहती नहीं थी
इन्हें न्योता देना
पर क्या करूँ
इन्सान हूँ
देवताओं जैसी फितरत
कहाँ से लाऊँ..........
जब सहनशक्ति
अपनी हदें पार
कर लेती है
तो ये आँसू बेकाबू
हो जातें हैं
जिनकी किस्मत मे
होता है बह कर
बस सूख जाना ...........
रेवा
इतने बेकाबू की ख़ुशी हो या गम दोनों में चले आते हैं
ReplyDeleteवो भी आंसू है
शायद तेजबों वाले
जो गालों पर
अमिट अक्स छोड़ जाते हैं
मानो
कोई नदी टूट कर बहती है
बस्ती को चिरती हुई
सूखने के बाद भी
निशां पड़े रहते हैं
उस बेखोफ हस्ती के.
भावपूर्ण कविता :)
Wah rohitas ji kya khoob likha hai apne
Deleteये आँसू होते ही ऐसे हैं ! आँसुओं की नमी से भीगी-भीगी सी खूबसूरत मंत्री !
ReplyDeleteसुंदर रचना , धन्यवाद !
ReplyDeleteआपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 1 . 10 . 2014 दिन बुद्धवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !
Information and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
Shukriya ashish ji
DeleteShukriya yashoda behen
ReplyDeleteShukriya ravikarji
ReplyDeleteअनुभूतिमय कविता !
ReplyDeletebehtareen
ReplyDeletebahut khoob
ReplyDeleteभावपूर्ण मन को छूती कविता --
ReplyDeleteसादर -
areeeeee...itna emotional hone ki jarurat nahi hai....aansuon se Dil Halka...aur Aankhen Saaf ho jaati hai.... :) :) :)
ReplyDeleteBolo.....Jai Mata Di....
भावमय करते शब्द एवं प्रस्तुति
ReplyDeleteBahut bhaawpurn rachna .... Badhaayi ..!!
ReplyDeleteBahut Khub Likha hai Appne....
ReplyDeleteswayheart.blogspot.in