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Wednesday, February 25, 2015

प्यार की खुशबू


ऐसी चली फागुन की पुरवाई
फिर तेरी याद हो आई ,
यादों के बंद बक्से से
प्यार की खुशबू ने
ली अंगड़ाई ,
बाँवरे मन ने की
कोशिश हज़ार
पर हो गया मदहोश
फिर एक बार ,
जाने ये कैसा इत्र है
जो महका गया
मेरा तन और मन
बन कर बरखा की बौछार ।

रेवा

Thursday, February 19, 2015

नाम (लघु कथा )


नाम  (लघु कथा )


"निर्मला पानी ला , अरी कितना समय लगाएगी" ,
चिल्लाने लगी निर्मला की मालकिन...... डरी सहमी 9 साल की निर्मला काँपने लगी उस भय से की फिर देर हो गयी तो कल कि तरह मार पड़ेगी ,  जैसे ही वो गयी मालकिन ने सारे दिन का काम बता दिया ........ " देख कपडे धो लिए , फिर बर्तन और हाँ खाना बना कर आयरन भी कर लिए .........थोड़ा जल्दी हाँथ बढ़ाया कर ,मुझे आते आते शाम हो जाएगी तब तक सब निपट जाना चाहिये "……कह कर फ़ोन पर अपनी दोस्त से बातें करने लगी और कहा , सुलेखा याद है न आज हमे " गांव की छोटी बच्चियों को प्राथमिक शिक्षा देना कितना जरूरी  " टॉपिक पर स्पीच देनी है।  स्पीच इतनी इमोशनल होनी चाहिये की इस बार कम से कम अख़बार मे हमारी मैगज़ीन "शिक्षित बचपन ".......का नाम जरूर हो

रेवा

Thursday, February 12, 2015

पैकिंग (लघु कथा )

काम कर रही थी सानु माँ के साथ.......कई महीनों से चल रही थी तैयारी सानु की शादी की ...अब तो वो दिन बिलकुल करीब आ गया था , सानु बहुत खुश थी ,क्युकी लड़का उसे बहुत पसंद था ,जैसे जीवन साथी की उसने कामना की थी संजय बिलकुल वैसा ही था।
माँ भी बहुत खुश थी , माँ का सबसे बड़ा अरमान होता है बेटी को दुल्हन के जोड़े में देखना , और वो सपना अब पूरा होने वाला था।
अब शादी को बस चार ही दिन बचे थे , माँ ने सानु को बोला " सानु नए सामानों के साथ तेरे पहले के सामान भी पैक कर ले" , पता नहीं कब क्या काम आ जाये , तेरे इतने गहने और कास्मेटिक हैं सब रख ले,और हाँ अपनी फवौरिटे परफ्यूम भी ,वार्ना फिर लड़ेगी शिखा से ,माँ का इतना कहना था बस  सानु की आँखों से अचानक आँसू बहने लगे…… माँ सकपका गयी और सानु को पुचकारते हुए पूछने लगी।
सानु ने कहा " माँ सारे सामान मैं पैक कर लुंगी , पर कैसे पैक करू बचपन ,पापा का लाड़ ,भैया का दुलार ,शिखा की छेड़खानी ,इस घर से जुड़ी  तमाम यादों की पैकिंग कैसे करूँ माँ ??



रेवा 

Sunday, February 8, 2015

टूटा विश्वाश



आज शब्द और सोच
दोनों ने जवाब दे दिया ,
जब दोस्त ने दोस्ती को
शर्मसार कर दिया……
टूट गया विश्वाश                          
मिट गयी हर आस ,
पर समझ फिर भी नहीं
आता कैसे तोड़ दूँ
वो बंधन वो प्यार ,
न आँसू है आँखों मे
न चैन ओ सुकून है
दिल मे ,
बस एक ही सवाल है
इस मन मे
क्यों हर बार ऐसा होता है
मेरे जीवन मे ?


रेवा





Wednesday, February 4, 2015

सिंदूरी शाम



सिंदूरी शाम
धुंध मे छिपा चाँद ,
मधम संगीत
हौले हौले
चलती ये पुरवाई ,
ऐसे मौसम में
उफ्फ तेरी रुस्वाई,
पर मेरा प्यार
जो जोड़ देगा
दिल के हर तार ……

रेवा