नारी
माँ बहन बेटी पत्नी दोस्त
और भी कई रूप
पर दिखता क्यों बस
हाड़ मास का देह स्वरुप ,
प्यार वात्सल्य से भरी
इस मूरत मे
क्यों दीखता है
काम ,वासना का ही रूप ,
बोलने को कर लेते हैं सब
बड़ी बड़ी बातें
और बनते हैं परम पुरुष,
पर मन के अंदर
वहीँ लालसा ,वो ही
लपलपाती लार टपकती
इच्छायें लिए घूमते हैं ,
इंतज़ार मे की कब मौका
मिले और भूख शांत हो ..........
"अगर ये दुनिया ऐसी है
तो हमे दुगनी शक्ति से
भर दो माँ
ताकी आने वाली बेटियों को
हम सब मिल कर
भय मुक्त समाज दे सके !!
रेवा