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Monday, May 11, 2015

मुनिया (लघु कथा )



सोमारी झारखण्ड मे रहने वाली एक आम औरत……पिछले ३ महीनो से लड़ाई लड़ रही थी।अपनी बच्ची को स्कूल मे पढ़ाना चाहती थी , घर वालों की और पति की मनाही के बावजूद , अपने समुदाय से लड़ कर उसने अपनी मुनिया का दाखिला स्कूल मे करवा दिया.... ताकि वो पढ़ सके और उसकी तरह बिना पढ़े जमीन के कागज़ पर अंगूठा लगा कर सारी ज़िन्दगी एक बंधवा मजदुर न बन जाये।
आज मुनिया को गोद मे लिए लालटेन की रौशनी मे भी उसे मुनिया के उज्जवल भविष्य का चढ़ता सूरज नज़र आ रहा था।

रेवा 

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