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Wednesday, August 17, 2016

ज़िन्दगी से बात


बहुत दिनों बाद
तुमसे मुलाकात हुई
ऐसा लगा
मानो
ज़िन्दगी से बात हुई ,
इतने करीब से तुझे बस
सुना ही था
आज पहचान हुयी ,
कैसे बयां करूँ
अपने एहसास .....
तेरे साथ उस
चाय के कप का स्वाद !!
प्यार भरी तेरी मनुहार
जिसमे न थी कोई
तकरार......
आह !!
वो पल जो
क्षण मे बीत गए .....
उन पलों मे
रूह को सुकून
देता साथ ......
चाहे सपना ही था
पर था बड़ा हसीं.....
करती हूँ प्यार तुमसे
बस यहीं है सही ,
अब रोज़ मिलूंगी
तुमसे सपनों मे .....
आज तो ये
हो ही गया
यकीं......

रेवा

8 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (19-08-2016) को "शब्द उद्दण्ड हो गए" (चर्चा अंक-2439) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    भाई-बहन के पवित्र प्रेम के प्रतीक
    रक्षाबन्धन की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. shukriya....apko bhi raksha bandhan ki dhero shubhkamnyein

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  2. सुन्दर रचना

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  3. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार 25 अगस्त 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  4. बहुत खूबशूरत रचना........

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  5. ये प्रस्तुती बेहद लाजवाब है

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