प्यार शब्द खुद मे इतना प्यारा है की इसे किसी परिभाषा की ज़रूरत नहीं ……ये एक एहसास है जो बस महसूस किया जा सकता है,पर इसके साथ ये भी सच है की प्यार की बड़ी बड़ी बातें सभी लोग कर लेते है……पर सच्चा प्यार बहुत कम लोगों के नसीब मे होता है……ये भी माना के प्यार दर्द भी देता है पर अगर ये सच्चा है तो संतुष्टि भी देता है…ऐसा प्यार हमे प्रभु के और करीब ले जाता है …ये मेरी भावनाएं और एहसास , इन्हीं को शब्द देने की कोशिश है मेरी …....
प्यार के एहसास में सनी नेह की बँधी डोर न जाने कब तक लिखवाती रहेगी..बेचारे इस दिवाने को भी पता नहीं...जमाना चाहे हमको कहे दिवाना,पर क्या फर्क पड़ता है..यही एहसास तो है जो आज ना होकर भी हमारे खुद के होने को अस्तित्व दे रहा है..लाजवाब लिखा है आपने....बहुत सुंदर।
ReplyDeletewah....sanjay kya baat kahi......shukriya
Deleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 27-10-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2508 में दिया जाएगा ।
ReplyDeleteधन्यवाद
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 28 अक्टूबर 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और प्रभावशाली पंक्तिया ...
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