मैंने इन्द्रधनुष से कुछ रंग चुराया
उनमे तेरे साथ बिताये
पलों को मिलाया
और बनायी
दो तस्वीर
एक तेरी
एक मेरी ,
उन दो तस्वीरों
से फिर रंग चुराया
उसमे मिलाये
सारे गिले शिकवे
और प्यार
फिर बनायी दो तस्वीर
एक तेरी
एक मेरी ,
तस्वीरों को देखा
तो दोनों लगे एक दुजे की पहचान
क्यूंकि तू कुछ मुझ जैसा
हो गया था
और मैं कुछ तुझ जैसी ....... !!
रेवा
मनभावन शब्द सृजन।
ReplyDeletebahut bahut shukriya kamlesh ji
DeleteBahut badhiya...
Deleteshukriya Neeta ji
Deletewaah...bahut sundar
ReplyDeleteshukriya upasna di
Deleteसुन्दर शब्द रचना
ReplyDeleteshukriya Savan kumar ji
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (11-12-2016) को पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
abhar mayank ji
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteshukriya onkar ji
Deleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 12 दिसम्बर 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeletedhanyvad yashoda behen
Deleteआपसी खेल तो चलता रहता है ... लुका छुपी में अपना दूजा कहाँ रह पाता है
ReplyDeleteshukriya digamber ji
Deleteshukriya sushil ji
ReplyDeleteशानदार
ReplyDeleteshukriya pratibha ji
Deletewow very nice....
ReplyDeletewww.funmazalo.com
www.shayarixyz.com
वाह .....प्यारी रचना
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