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Friday, December 9, 2016

दो तस्वीर




मैंने इन्द्रधनुष से कुछ रंग चुराया
उनमे तेरे साथ बिताये
पलों को मिलाया
और बनायी
दो तस्वीर
एक तेरी
एक मेरी ,
उन दो तस्वीरों
से फिर रंग चुराया
उसमे मिलाये
सारे गिले शिकवे
और प्यार
फिर बनायी दो तस्वीर
एक तेरी
एक मेरी ,
तस्वीरों को देखा
तो दोनों लगे एक दुजे की पहचान
क्यूंकि तू कुछ मुझ जैसा
हो गया था
और मैं कुछ तुझ जैसी ....... !!

रेवा


21 comments:

  1. सुन्दर शब्द रचना

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (11-12-2016) को पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. बहुत सुन्दर

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  4. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 12 दिसम्बर 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  5. आपसी खेल तो चलता रहता है ... लुका छुपी में अपना दूजा कहाँ रह पाता है

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  6. wow very nice....

    www.funmazalo.com
    www.shayarixyz.com

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  7. वाह .....प्यारी रचना

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