शुरुआती दिनों मे
मन अजीब सा हो जाता है
दिल का एक ख़ाली कोना
मन अजीब सा हो जाता है
दिल का एक ख़ाली कोना
सर उठाने लगता है
उसे जितना समझाने की
कोशिश करती हूँ
वो ऊँन के गोले सा
उतना ही उलझता जाता है.....
एक अनभुझ पहेली
सा
हर रोज़ साथ
चलता रहता है
क्या तुम सुलझा
सकते हो ?
भर सकते हो मेरे दिल का
वो खाली कोना ?
करा सकते हो मेरी
शीत की सुबह को
गुनगुनी धूप सा एहसास ???
रेवा
ठण्ड तो है
ReplyDeleteसूर्य की किरणें भी
चन्द्रमा सी शीतलता
प्रदान करती है
श्रेष्ठ रचना
सादर
aaha ....shukriya yashoda behen
Deleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 22-12-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2564 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
shukriya dilbag ji
Deleteमनोभावो को बड़े सुन्दरता से पगा है...मज़ा आ गया।
ReplyDeleteabhar kamlesh ji
Deleteबहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति
ReplyDeleteshukriya Reena sis
Deleteकई बार कुछ रादें भी गुनगुना कर जाती हैं ...
ReplyDeleteख्यालों की उड़ान लाजवाब ...
shukriya digamber ji
Deleteअच्छी शब्द रचना........ आभार
ReplyDeleteनव वर्ष की शुभकामनाएं
http://savanxxx.blogspot.in
सुन्दर
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