लिखा जब भी
मैंने खुद को ........
मेहसूस किया
इस कागज़ ने
तब मुझको ,
लिखे जब
दर्द भरे अल्फ़ाज़
इसके दिल पर ,
तकलीफ़ इसे भी हुई
शब्दों से मिल कर ,
जब हुई इसकी
मुलाकात
मेरे आँसुओं के साथ
स्याही
ने भी बिखर कर
किया एहसास ,
पर अब बस
बहुत कर लिया
हमने दर्द का सफ़र
आज से ये वादा है
एक दूजे के साथ की
अब हम मिलकर लिखेंगे
सिर्फ प्यार भरी किताब !!!!
मैंने खुद को ........
मेहसूस किया
इस कागज़ ने
तब मुझको ,
लिखे जब
दर्द भरे अल्फ़ाज़
इसके दिल पर ,
तकलीफ़ इसे भी हुई
शब्दों से मिल कर ,
जब हुई इसकी
मुलाकात
मेरे आँसुओं के साथ
स्याही
ने भी बिखर कर
किया एहसास ,
पर अब बस
बहुत कर लिया
हमने दर्द का सफ़र
आज से ये वादा है
एक दूजे के साथ की
अब हम मिलकर लिखेंगे
सिर्फ प्यार भरी किताब !!!!
रेवा