इतने सालों के साथ
और प्यार के बाद ,
आज एक अजीब सी
हिचकिचाहट
महसूस हो रही है ,
तेरी वहीँ
रूहानी आवाज़
जिस पर मैं मरती हूँ
अजनबी सी
लगने लगी ,
समझना नामुमकिन
सा हो गया है की
ऐसा क्यों
क्या मेरी सोच मे
फर्क आ गया !
या हालात ने करवट
बदल ली ..............
"जैसे भी हों हालत-ओ -जज़्बात
रिसते हैं दिल के ज़ख्म
बन कर एक अनकही फरियाद "
रेवा
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 25 जनवरी 2017 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteabhar yashoda behen
Deleteसुन्दर ।। ।
ReplyDeleteshukriya kaushal ji
Deleteसुन्दर ।। ।
ReplyDeleteरिसते जख्मों के साथ ... प्रेम की गर्माहट भी रिस जाती है ...
ReplyDeleteगहरा लिखा है ...
shukriya digamber ji
Deleteआपकी इस प्रस्तुति की लिंक 26-01-2017को चर्चा मंच पर चर्चा - 2585 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
abhar dilbag ji
Deleteगहरे भाव दर्शाती रचना
ReplyDeleteshukriya Malti ji
Deleteगहरे भाव दर्शाती रचना
ReplyDeleteसुन्दर शब्द रचना
ReplyDeleteगणत्रंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
shukriya savan ji
Deleteमार्मिक
ReplyDeleteshukriya kamlesh ji
Deleteवक्त बदलने के साथ सोंच भी बदल ही जाती है .....अंतर्मन को छूती रचना
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