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Friday, June 2, 2017

चाँद




रोज़ की तरह
आज फिर चाँद ने
खिड़की पर आ कर
आवाज़ लगायी ,
पर आज मुझे
वहाँ न पाकर
आश्चर्यचकित था ,
रोज़ टकटकी लगा कर
इंतज़ार करने वाली
ढेरों बातें करने वाली
आज कहाँ गायब हो गयी ?
उसे क्या पता था
आज वो अपने
चाँद को छोड़
अपने प्रियतम की बाँहों
मे झूल रही है ,
आज चाँद ने
औरों की तरह
उसे भी बेवफा
करार कर तो कर दिया,
पर आज चाँद से
ज्यादा खुश
और कोई नहीं था ,
आखिर उसकी
प्रेयसी अपने प्यार
के साथ जो थी ...........


रेवा


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