मन में एक अजीब सी
हलचल
रस्सा कसी मची हुई है
कभी अजीब सा
अनदेखा अनजाना डर
कभी बेहिसाब प्यार
इतना की तुम्हें
आंखों से ओझल ही
न होने दूं
जानती नहीं ऐसा क्यों है ??
पर लगता है
तुमसे दूर जाने का डर
तुम्हें खोने का डर हावी
हो रहा है
हर जीवन साथी की तरह
हमने भी साथ लम्बा
सफ़र तय करने की
कसम खायी है
पर अगर बीच रास्ते
किसी ने धोखा दे दिया तो
या अपना रास्ता बदल
लिया तो क्या ??
जवाब तो नहीं किसी
के पास भी इन सवालों का
बस एक विश्वाश की डोर
जरूर है
जो होती तो मज़बूत है
पर कभी कभी
कुछ हादसे कमज़ोर
बना देते हैं !!
कभी अजीब सा
अनदेखा अनजाना डर
कभी बेहिसाब प्यार
इतना की तुम्हें
आंखों से ओझल ही
न होने दूं
जानती नहीं ऐसा क्यों है ??
पर लगता है
तुमसे दूर जाने का डर
तुम्हें खोने का डर हावी
हो रहा है
हर जीवन साथी की तरह
हमने भी साथ लम्बा
सफ़र तय करने की
कसम खायी है
पर अगर बीच रास्ते
किसी ने धोखा दे दिया तो
या अपना रास्ता बदल
लिया तो क्या ??
जवाब तो नहीं किसी
के पास भी इन सवालों का
बस एक विश्वाश की डोर
जरूर है
जो होती तो मज़बूत है
पर कभी कभी
कुछ हादसे कमज़ोर
बना देते हैं !!
रेवा
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteshukriya onkar ji
Deleteआदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' ०५ फरवरी २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
ReplyDeleteटीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
abhar dhruv ji
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeletedhanyavd lokesh ji
Deleteवाह बहुत सुंदर सृजन
ReplyDeleteसादर
jyoti sir बहुत बहुत शुक्रिया
DeleteHave you complete script Looking publisher to publish your book
ReplyDeletePublish with us Hindi, Story, kavita,Hindi Book Publisher in India
शुक्रिया
Deleteबहुत सुन्दर रचना.
ReplyDeleteशुक्रिया मीना जी
Delete