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Friday, June 14, 2019

पालनहार




तू ही तो पालनहार है
तू ही तो खेवनहार है
पर तू है कहाँ

सुना है
तू कण कण में है
बच्चों के मन में है
तो फिर उनकी रक्षा
क्यों नहीं करता ??

ईमानदार निश्छल
इंसान की तू सुनता है
ऐसा सुना था
पर वो खून के आँसू
रोते हैं
तू उनकी सुनता क्यों नहीं ??

सुना है तुझे सिर्फ दिल से
याद करो, आडम्बरोँ से तू
खुश नहीं होता
फिर अमीर को और अमीर
और ग़रीब को और ग़रीब
क्यों बना रहा है ?

सुना है तू उनकी मदद
करता है जो अपनी
मदद ख़ुद करते हैं
तो आज बता क्या
लड़कियाँ कभी कुछ
नहीं करती
अपनी मदद नहीं करतीं
फिर क्यों अत्याचार
बढ़ रहें हैं उन पर

अगर तू है कहीं तो आ
आज मेरे सारे सवालों
के जवाब दे कर जा
वर्ना मैं नहीं मानती
की तू कहीं है

#रेवा

9 comments:

  1. बहुत सुन्दर

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (16 -06-2019) को "पिता विधातारूप" (चर्चा अंक- 3368) पर भी होगी।

    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ....
    अनीता सैनी

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  3. मार्मिक रचना...पालनहार के घर का रास्ता गुरू के द्वार से होकर जाता है

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  4. प्रभु से ही तो शिकायत भी कर सकते हैं हम ,बहुत सुंदर


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  5. This comment has been removed by a blog administrator.

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