Followers

Tuesday, June 18, 2019

घर




उस मकान को देख रहे हैं न 
उसको घर बनाने का सच
क्या पता है आपको ??
कितनी बहस
कितने आँसू
कितने तकरार
कितने अरमान
कितने रत जगे लगे हैं

सारी जिंदगी नौकरी
करने वाले की
पसीने से जमा की हुई
पूंजी लगी है
बूढ़े बाप का सपना
बीवी का अरमान
बच्चों का ख़्वाब
बहनों का आशीर्वाद
लगा है
उस एक मकान को
घर बनाने में
सालों भगवान के आगे
प्रार्थना के दीप लगे हैं
इस एक सपने को
पूरा करने में अनगिनत
ख़्वाहिशों को यूँही
हँसते हुए क़ुर्बान किया है

उस घर का हर कोना
इबादत है दुआ है
भावनाओं का सागर है
इसलिए वो सिर्फ
ईट सीमेंट का घर नहीं
वो एहसासों का मन्दिर है

#रेवा

6 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (19-06-2019) को "सहेगी और कब तक" (चर्चा अंक- 3371) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  2. बहुत सुंदर प्रस्तुति हृदय स्पर्शी रचना ।

    ReplyDelete
  3. This comment has been removed by a blog administrator.

    ReplyDelete