प्यार शब्द खुद मे इतना प्यारा है की इसे किसी परिभाषा की ज़रूरत नहीं ……ये एक एहसास है जो बस महसूस किया जा सकता है,पर इसके साथ ये भी सच है की प्यार की बड़ी बड़ी बातें सभी लोग कर लेते है……पर सच्चा प्यार बहुत कम लोगों के नसीब मे होता है……ये भी माना के प्यार दर्द भी देता है पर अगर ये सच्चा है तो संतुष्टि भी देता है…ऐसा प्यार हमे प्रभु के और करीब ले जाता है …ये मेरी भावनाएं और एहसास , इन्हीं को शब्द देने की कोशिश है मेरी …....
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Tuesday, March 31, 2020
स्त्री मन
Sunday, March 29, 2020
बदचलन औरत
मैं वो औरत हूँ
जिसने की है
एक मर्द से दोस्ती
जिसमें पाया है मैंने
अच्छा पक्का दोस्त
जिसे मैं अपने दिल की
हर बात साझा कर
सकती हूँ
जो मुझे समझता है
हर तकलीफ़ में साथ
खड़ा रहता है
मैं जैसी हूँ उसके लिए
एकदम परफेक्ट हूँ
हाँ गलतियों में डांट
भी देता है
कभी पिता सा लाड़ करता है
कभी प्रेमी सी बातें
तो कभी दोस्त बन कर
सलाह देता है
उसे मैं हमेशा
अपना कंधा कहती हूँ
पर वो मेरा पति
नहीं है न दूर दूर तक
कोई रिश्ता है उससे
फिर भी वो सबसे करीब है
हाँ शायद मैं बदचलन
औरत हूँ
या बेबाक या मोर्डरन
जमाने की बिगड़ी हुई
औरत या फिर
मैं जैसा
कहती हूँ इंसान हूँ
और इंसान से की है
दोस्ती और रिश्ता
इंसानियत का है
#रेवा
Friday, March 20, 2020
डरपोक औरतें
अनेकों घृणित नामों से
उसे नवाज़ते हैं
तो कभी बदचलन
सोचती हूँ मैं
अगर मर्द होते ही नहीं
तो इन नामों का
कोई मतलब ही नहीं रह जाता
सिर्फ औरतों को ही
इसलिए जोडा़ जाता है
कि औरतें
प्रतिशोध से परे हैं
लाज का दही
मुँह पर जमाये फिरती हैं
इन्हीं तबकों में से
इन्हीं मर्दों के लिये भी
भंड़वे, बदजा़त
और ज़नमुरीद जैसे शब्द भी हैं
लेकिन नहीं करतीं इस्तेमाल
इन शब्दों को
ये खुदगर्ज, मनहूस
और डरपोक औरतें