आज फिर किसी ने दिल पर शब्दों के नश्तर चुभोये
आज फिर लहूलुहान हुआ मेरा दिल
आज फिर आंसुओं ने आँखों का साथ छोड़ा
आज फिर तकिये में सर छुपाया मेरा दिल
आज फिर भगवान का द्वार खटखटाया
आज फिर गुहार लगाया मेरा दिल
आज फिर अनगिनत प्रश्नों के अम्बार लगाये
आज फिर निरुत्तर वापस आया मेरा दिल
आज फिर पत्थरो की दी दुहाई
तू क्यों न मेरी जगह आई ... बोला मेरा दिल
रेवा
आज फिर लहूलुहान हुआ मेरा दिल
आज फिर आंसुओं ने आँखों का साथ छोड़ा
आज फिर तकिये में सर छुपाया मेरा दिल
आज फिर भगवान का द्वार खटखटाया
आज फिर गुहार लगाया मेरा दिल
आज फिर अनगिनत प्रश्नों के अम्बार लगाये
आज फिर निरुत्तर वापस आया मेरा दिल
आज फिर पत्थरो की दी दुहाई
तू क्यों न मेरी जगह आई ... बोला मेरा दिल
रेवा