आज फिर किसी ने दिल पर शब्दों के नश्तर चुभोये
आज फिर लहूलुहान हुआ मेरा दिल
आज फिर आंसुओं ने आँखों का साथ छोड़ा
आज फिर तकिये में सर छुपाया मेरा दिल
आज फिर भगवान का द्वार खटखटाया
आज फिर गुहार लगाया मेरा दिल
आज फिर अनगिनत प्रश्नों के अम्बार लगाये
आज फिर निरुत्तर वापस आया मेरा दिल
आज फिर पत्थरो की दी दुहाई
तू क्यों न मेरी जगह आई ... बोला मेरा दिल
रेवा
आज फिर लहूलुहान हुआ मेरा दिल
आज फिर आंसुओं ने आँखों का साथ छोड़ा
आज फिर तकिये में सर छुपाया मेरा दिल
आज फिर भगवान का द्वार खटखटाया
आज फिर गुहार लगाया मेरा दिल
आज फिर अनगिनत प्रश्नों के अम्बार लगाये
आज फिर निरुत्तर वापस आया मेरा दिल
आज फिर पत्थरो की दी दुहाई
तू क्यों न मेरी जगह आई ... बोला मेरा दिल
रेवा
आज फिर अनगिनत प्रश्नों के अम्बर लगाये
ReplyDeleteआज फिर निरुत्तर वापस आया मेरा दिल
Sach kaha aapne...jeevan me aise kayi sawaal anuttarit rah jate hain!
waah kya khub likha hai aapne.....
ReplyDeleteyun hi likhte rahein...
kshama ji an shekhar ji dhanyavad
ReplyDeleteएक पल को मेरी आँखों ने अचम्म्भे मै ना जाने क्या देखा ,
ReplyDeleteफिर खुद ही मै अपना बहम कह जिंदगी मै आगे बढ़ गया !
रोंने को तो हर रात
आंख के आंसुओं मै
सागर उभार आये ,
फिर भी नहीं रोया
ये सोच कर .....
ये आंसू अपनी फरियाद
अब किसको सुनाएँ !
सच मानो ....
मै आज भी मुस्कराता हूँ !
..... दादू !
hmmm dadu....thanx again for showing me the path
ReplyDeleteआज फिर अनगिनत प्रश्नों के अम्बार लगाये
ReplyDeleteगहरी अभिव्यक्ति, धन्यवाद.
अच्छी भाव , सुंदर रचना ।
ReplyDeletesanjeev ji ....ajayji bahut bahut shukriya.....
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