तुम जब सुबह शाम
सामने दीखते हो तो
पता नहीं चलता ,
तुम पर गुस्सा करती
कभी चिढ कर
चिल्ला भी देती हूँ ,
जब कभी रसोई
मे मदद करने आते
हो तो ,गुस्से मे बोलती की
"तुम सब गन्दा कर दोगे "
रहने दो ,
शाम की चाय पर तुम्हारा
इंतज़ार करती ,पर जब
बनाने बोलते तो ,जूठा
गुस्सा दिखा कर बोलती की
"तुम तो मुझे ख़ाली देख
हि नहीं सकते हो
बस आते हि काम पर
लगा देते हो" ,
आज जब बस चार
दिनों के लिए बाहर
गए हो तो ,सब याद
आ रहा है,
बार बार बस यही कहने
को जी चाह रहा है ..........
"न वादों से न यादों से
प्यार करती हुं तुझे सांसों से
इन सांसों की लड़ी तोड़ न देना
मुझको कभी तनहा छोड़ न देना "
रेवा
सामने दीखते हो तो
पता नहीं चलता ,
तुम पर गुस्सा करती
कभी चिढ कर
चिल्ला भी देती हूँ ,
जब कभी रसोई
मे मदद करने आते
हो तो ,गुस्से मे बोलती की
"तुम सब गन्दा कर दोगे "
रहने दो ,
शाम की चाय पर तुम्हारा
इंतज़ार करती ,पर जब
बनाने बोलते तो ,जूठा
गुस्सा दिखा कर बोलती की
"तुम तो मुझे ख़ाली देख
हि नहीं सकते हो
बस आते हि काम पर
लगा देते हो" ,
आज जब बस चार
दिनों के लिए बाहर
गए हो तो ,सब याद
आ रहा है,
बार बार बस यही कहने
को जी चाह रहा है ..........
"न वादों से न यादों से
प्यार करती हुं तुझे सांसों से
इन सांसों की लड़ी तोड़ न देना
मुझको कभी तनहा छोड़ न देना "
रेवा