आज फिर आँखों ने
बह कर अपनी
कहानी कह दी ,
आज फिर शीशे ने
इन बिलखती प्यार
भरी आँखों को
देखने से इंकार कर दिया ,
आज फिर आँखों
ने खुद को
ज़ल के छीटों
से शीतल किया ,
आज फिर इसने
प्रशन नहीं किया की
यह कब तक
ऐसे बहती बहती
अपनी कहानी कहेंगीं ,
शायद पत्थर बन
कर यह अपनी
जिंदगानी पूरी करेंगी ............
रेवा
बह कर अपनी
कहानी कह दी ,
आज फिर शीशे ने
इन बिलखती प्यार
भरी आँखों को
देखने से इंकार कर दिया ,
आज फिर आँखों
ने खुद को
ज़ल के छीटों
से शीतल किया ,
आज फिर इसने
प्रशन नहीं किया की
यह कब तक
ऐसे बहती बहती
अपनी कहानी कहेंगीं ,
शायद पत्थर बन
कर यह अपनी
जिंदगानी पूरी करेंगी ............
रेवा
आज फिर आँखों
ReplyDeleteने खुद को
ज़ल के छीटों
से शीतल किया
सुन्दर बिम्ब
bahut hi sundar rachna... meri bhi aakhein nam ho aaayin hain... lajawab..
ReplyDeleteशायद पत्थर बन
ReplyDeleteकर यह अपनी
जिंदगानी पूरी करेंगी ............
Ek kasak uth gayi dil me....!
Aaj phir in ankho ne beh kar kahani poori kardee. ek dard kaa ahsas diltati rachna ati sunder prayas
ReplyDeleteरेवाजी आपके लेखन की गहराई काबिले तारीफ़ है . बहुत सुंदर रचना है .. धन्यवाद् और आप से यही उमीद करते है की आप हमेसा ऐसा ही लिखते रहे
ReplyDeleteKitni Khubsurat Haan Ye aakhein
ReplyDeleteIn mein Haan Puri Duniya Haan Samaii
शायद पत्थर बन
ReplyDeleteकर यह अपनी
जिंदगानी पूरी करेंगी ............
खासकर इन पंक्तियों ने रचना को एक अलग ही ऊँचाइयों पर पहुंचा दिया है शब्द नहीं हैं इनकी तारीफ के लिए मेरे पास...बहुत सुन्दर..
aap sabka bahut bahut shukriya
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