गुलबिया पति की रोज मार सहती
ज़िन्दगी जी रही थी ,
रोज आंसु बहाती
पर वो न पिघलता ,
एक दिन ऐसा भी आया
उसने घर छोड़ने का फैसला कर लिया ,
पति ने दो चार आंसु बहाए
प्यार के दो बोल बोले ,
पिघल गयी वो
पर मन मे कहीं जानती थी वो ,
कल फिर वही होगा , जो पहले होता था
फिर भी मान गयी.......
क्यों ?
क्यों होता है हमेशा ऐसा ???
रेवा
ज़िन्दगी जी रही थी ,
रोज आंसु बहाती
पर वो न पिघलता ,
एक दिन ऐसा भी आया
उसने घर छोड़ने का फैसला कर लिया ,
पति ने दो चार आंसु बहाए
प्यार के दो बोल बोले ,
पिघल गयी वो
पर मन मे कहीं जानती थी वो ,
कल फिर वही होगा , जो पहले होता था
फिर भी मान गयी.......
क्यों ?
क्यों होता है हमेशा ऐसा ???
रेवा