प्यार सिखाया तुमने
दूर होते हुए भी
पर फिर अचानक तुम
सोये हुए एहसास जगाये तुमने
धीरे धीरे हर चीज़ जोड़ा तुमने
हमे एक दूसरे की हर बात
पता होने लगी,
दूर होते हुए भी
नज़दीकी महसूस करने लगे
तुम कहीं और, और मैं कहीं और
फिर भी हम समय बांध कर
अलग अलग साथ खाने लगे
अलग अलग साथ खाने लगे
चाय पीने लगे
बाहर भी जाते आते तो बता कर
पर फिर अचानक तुम
ज्यादा व्यस्त रहने लगे ,
हर बात पर " क्या करूँ बिजी हूँ "
कहने लगे ,
बातें कम हो गयी ,खबर ही न
रहती एक दूसरे की ,
फिर एक दिन ऐसा आया
तुमने बोला
तुमने बोला
" जाओ तुम्हें आज़ाद किया "
क्या सच मे इसे आज़ादी कहते हैं ??
क्या सच मे इसे आज़ादी कहते हैं ??
रेवा
बहुत बढिया
ReplyDeleteजाओ तुम्हे आज़ाद किया
इन शब्दो मे कितनी गहरी बात छुपी है
एहसास और भाव
ReplyDeleteBahut gahan baat kah dee aapne! Nahi,ye to aazaadee nahi!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......
ReplyDeleteshukriya app sabka
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