गुलबिया पति की रोज मार सहती
ज़िन्दगी जी रही थी ,
रोज आंसु बहाती
पर वो न पिघलता ,
एक दिन ऐसा भी आया
उसने घर छोड़ने का फैसला कर लिया ,
पति ने दो चार आंसु बहाए
प्यार के दो बोल बोले ,
पिघल गयी वो
पर मन मे कहीं जानती थी वो ,
कल फिर वही होगा , जो पहले होता था
फिर भी मान गयी.......
क्यों ?
क्यों होता है हमेशा ऐसा ???
रेवा
ज़िन्दगी जी रही थी ,
रोज आंसु बहाती
पर वो न पिघलता ,
एक दिन ऐसा भी आया
उसने घर छोड़ने का फैसला कर लिया ,
पति ने दो चार आंसु बहाए
प्यार के दो बोल बोले ,
पिघल गयी वो
पर मन मे कहीं जानती थी वो ,
कल फिर वही होगा , जो पहले होता था
फिर भी मान गयी.......
क्यों ?
क्यों होता है हमेशा ऐसा ???
रेवा
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ReplyDeleteपर मन मे कहीं जानती थी वो ,
ReplyDeleteकल फिर वही होगा , जो पहले होता था
फिर भी मान गयी.......
क्यों ?
...........क्यों होता है हमेशा ऐसा
भारतीय नारी ऐसी ही हुआ करती थी.............
ReplyDeleteपिघल गयी वो
ReplyDeleteपर मन मे कहीं जानती थी वो ,
कल फिर वही होगा , जो पहले होता था
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मानसिक द्वंद्व की अभिव्यक्ति ....बहुत सुंदर ...शुक्रिया
आपको नववर्ष 2011 मंगलमय हो ।
ReplyDeleteसुन्दर शब्दों की बेहतरीन शैली ।
भावाव्यक्ति का अनूठा अन्दाज ।
बेहतरीन एवं प्रशंसनीय प्रस्तुति ।
हिन्दी को ऐसे ही सृजन की उम्मीद ।
धन्यवाद....
satguru-satykikhoj.blogspot.com
रेवा जी, नारी मन की दशा को बखूबी उतार दिया है आपने। हार्दिक बधाई।
ReplyDelete---------
पति को वश में करने का उपाय।
मासिक धर्म और उससे जुड़ी अवधारणाएं।
AAP SAB KA BHAUT BAHUT SHUKRIYA......
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को मकर संक्रांति के पर्व की ढेरों शुभकामनाएँ !"
ReplyDeleteaise hi hota hai kyun ki bhartiye aurten apne pati ko bahut pyaar karti hain v nice
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