माँ , वैसे तो
तेरी याद सदा हि
सताती है ,
पर आज इस
बीमारी मे
ज्यादा हि
आ रही है ,
आज मन
हो रहा है की ,
तू फिर मुझे
अपनी गोद
मे लेकर
घंटो बैठी
हनुमान चालीसा
पढ़ती रहे ,
प्यार से मेरे
सर पर हाँथ
फेरती रहे ,
अपने हाँथो
से मुझे खाने मे
प्यार मिला कर खिलाये ,
न खाने पर
डांट लगाये ,
मुझे कमजोर
हो जाने की
बात समझाए ,
माँ तेरी वो
दवा और दुआ
दुनिया की हर
दवा से उपर है,
माँ आजा की तेरी
"मिनी " तड़प
रही है तेरे बिन ............
रेवा
तेरी याद सदा हि
सताती है ,
पर आज इस
बीमारी मे
ज्यादा हि
आ रही है ,
आज मन
हो रहा है की ,
तू फिर मुझे
अपनी गोद
मे लेकर
घंटो बैठी
हनुमान चालीसा
पढ़ती रहे ,
प्यार से मेरे
सर पर हाँथ
फेरती रहे ,
अपने हाँथो
से मुझे खाने मे
प्यार मिला कर खिलाये ,
न खाने पर
डांट लगाये ,
मुझे कमजोर
हो जाने की
बात समझाए ,
माँ तेरी वो
दवा और दुआ
दुनिया की हर
दवा से उपर है,
माँ आजा की तेरी
"मिनी " तड़प
रही है तेरे बिन ............
रेवा
माँ का एक स्पर्श हजार दवाओ से अच्छा है
ReplyDeleteबेहतरीन रचना
Aah! Meree to aankhen bhar aayeen!
ReplyDeleteNa ho khud mey bechain itna
ReplyDeleteki dadu ko dukh lage ......
Mini aap bahut achcha likhti ho ji ,
my touching appriciations to you .
... deep !
कुछ तो है इस कविता में, जो मन को छू गयी।
ReplyDeleteकई दिनों से बाहर होने की वजह से ब्लॉग पर नहीं आ सका
ReplyDeleteबहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..