जानते हो कई बार
मैंने तुमसे और
तुमने मुझसे
पुछा है की ,
ऐसी कौन सी
बात है तुम में
की मै तुमसे
जुड़ गयी और
तुम मुझसे ,
पर शायद
इसका जवाब
न तुम्हारे पास है
और न मेरे पास ,
न हमारे रिश्ते
का कोई नाम है
न कोई स्वार्थ ,
यह तो बस समर्पण है
एक दूजे के एहसासों का ..................
रेवा
मैंने तुमसे और
तुमने मुझसे
पुछा है की ,
ऐसी कौन सी
बात है तुम में
की मै तुमसे
जुड़ गयी और
तुम मुझसे ,
पर शायद
इसका जवाब
न तुम्हारे पास है
और न मेरे पास ,
न हमारे रिश्ते
का कोई नाम है
न कोई स्वार्थ ,
यह तो बस समर्पण है
एक दूजे के एहसासों का ..................
रेवा
आदरणीय रेवा जी
ReplyDeleteनमस्कार !
बेहतरीन रचना है आप बहुत
अच्छा लिखती हैं |बहुत बहुत बधाई |
आपकी ये कविता पसंद आयी.
ReplyDeleteधन्यवाद.
sanjay ji apka bahut bahut shukriya
ReplyDeleteन हमारे रिश्ते
ReplyDeleteका कोई नाम है
न कोई स्वार्थ ,
यह तो बस समर्पण है
एक दूजे के एहसासों का ..................
Kitna sundar rishta hoga aisa!
यह तो बस समर्पण है
ReplyDeleteएक दूजे के एहसासों का ..................
बस इसी को प्रेम कहते है
सुन्दर कविता
रेवा जी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना ....
शायद वो प्यार ही है जो दो लोगों को एक दूसरे से बांधे रखता है |
kshamadi,deepakji,kamleshji....aap sab ka bahut bahut shukriya...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना , बहुत खूबसूरत भावाभिव्यक्ति
ReplyDeleteati sundar Rewa ji
ReplyDeleteS.N Shuklaji,dinesh shukriya
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeletekuch naa kaho kuch naa kaho
ReplyDeletepehle mujhe chai pilao