उफ्फ ये दर्द
जब होता है तो ,
हर चीज़ इसके सामने छोटी हो जाती है ,
मन बदलने के लिए कुछ भी करो
हर बार दर्द अपनी जगह बना ही लेता है ,
गाने सुनो तो ,
गाने के बोल नश्तर चुभाते हैं ,
कोई प्यार से बात करे तो
ये और भी बढ़ जाता है ,
हर वो चीज़ ,
जो सुकून देनी चाहिये
वो दर्द का एहसास कराती है ,
लगता है
सारे ज़माने की तकलीफ सिमट कर
खुद की झोली में आ गयी हो ,
कहा जाता है की
दर्द जिसने अनुभव किया हो
उसे ही सुख की अनुभूति होती है ,
पर क्या सुख के लिए
इतना दर्द बर्दाश्त करना जरुरी है ?
रेवा