प्यार जितना प्यारा शब्द है
उतना ही प्यारा एहसास ,
खुशबू से भरा हर लम्हा
हर वक़्त एक अजीब सी
गुदगुदी का महसूस होना ,
ख्याल भर से ही मुस्कुराहट
बिखेर जाना ,
हर तरफ संगीत ही संगीत ,
जब कुदरत ने हमें इतना
प्यारा एहसास दिया है तो ,
हम नफरत के लिए
कैसे समय निकाल लेते हैं ?
रेवा
उतना ही प्यारा एहसास ,
खुशबू से भरा हर लम्हा
हर वक़्त एक अजीब सी
गुदगुदी का महसूस होना ,
ख्याल भर से ही मुस्कुराहट
बिखेर जाना ,
हर तरफ संगीत ही संगीत ,
जब कुदरत ने हमें इतना
प्यारा एहसास दिया है तो ,
हम नफरत के लिए
कैसे समय निकाल लेते हैं ?
रेवा
Sach kaha aapne....log nafrat ke liye zyada samay nikal lete hain.
ReplyDeleteसच कहा ... शायद प्यार का मतलब नहीं समझ पाते ऐसे लोग ...
ReplyDeleteसार्थक प्रयास ...प्यार और नफ़रत की सच्चाई को दर्शाती सुन्दर पंक्तियाँ !!
ReplyDeleteप्यार और नफ़रत की सच्चाई बयाँ करती हुयी सार्थक और सुन्दर पंक्तियाँ..
ReplyDeleteरेवा जी...गहरी शुभकामनायें !!
aap sabka shukriya
ReplyDeleteखरगोश का संगीत राग रागेश्री पर आधारित है जो कि
ReplyDeleteखमाज थाट का सांध्यकालीन राग है, स्वरों
में कोमल निशाद और बाकी स्वर शुद्ध
लगते हैं, पंचम इसमें वर्जित है, पर हमने इसमें अंत में पंचम का प्रयोग भी किया है, जिससे
इसमें राग बागेश्री भी झलकता है.
..
हमारी फिल्म का संगीत
वेद नायेर ने दिया है... वेद
जी को अपने संगीत कि प्रेरणा जंगल में चिड़ियों
कि चहचाहट से मिलती है.
..
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thanx Anonymous....will do vist
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