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Monday, July 9, 2012

पगलाये नयन

किसी ने सच ही कहा है की,
बारिश के साथ रोना
कितना आसान होता है,
बूंदो का आंसुओं से मिलन
बादलों के प्यार का दर्द से मिलन,
पानी का पानी मे मिल क़र
बह जाना ,
कितना अद्दभुत है ये
पगलाये बादलों और
पगलाये नैनों का मिलन /


रेवा

19 comments:

  1. This comment has been removed by the author.

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  2. rewa ji...meine pahle bhi aapki kavitaayein padhi hai.....bahut sunder shabd dete ho aap..apni bhawnaao ko......iske liye aap aur aapki kalam badhaai ke patr hai...kripya sweekar karein...

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  3. bahut umda rachna..bahut hi marmik prastuti

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  4. भावमय करते शब्‍दों का संगम

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  5. बहुत खूबसूरत कविता। बधाई।

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  6. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति. सुन्दर रचना. :-).
    आज का आगरा

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  7. बहुत ही बढ़िया


    सादर

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  8. और पता बी नहीं चलता की आप रो रहे हो ... सच कहा ...

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  9. aap sabka bahut abhut shukriya.....samay nikal kar padhne kay liye...

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  10. वाह खूबसूरत भाव ....सादर

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  11. बेहतरीन अभिव्यक्ति.....

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  12. Anuji , shushmaji...bahut bahut shukriya

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  13. Kitni sadgee se aap apni baat kah detee hain!

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  14. बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...
    बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!
    शुभकामनायें.

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