आँखों से आंसु बरबस ही गिरने लगते हैं
किसकी तलाश है , क्या अधूरापन है ?
क्यों इतना तन्हा महसूस होता है
तमाम रिश्तों के बावजूद ,
पर क्या सिर्फ रिश्ते अधूरापन भर सकते हैं ?
अगर प्यार न हो तो ,
हम ज़िन्दगी जी रहे हैं
न की एक एक दिन काट रहे हैं ,
पर अगर सारी कोशिशों के बावजूद
भी ये अधूरापन न जाये तो ?
रिश्ते को पूरा प्यार ,
पूरा सम्मान दे कर भी
बस तन्हाई और अकेलापन
ही मिले तो ,
आंसुओं का क्या दोष
फिर तो यही हमारी किस्मत
बन जाती है न ,
पर नहीं अब और नहीं
नहीं रोउंगी ,नहीं तरसुंगी
बल्कि खुद को प्यार करुँगी
और यही पूंजी
अपनी बेटी को भी दूंगी /
रेवा
किसकी तलाश है , क्या अधूरापन है ?
क्यों इतना तन्हा महसूस होता है
तमाम रिश्तों के बावजूद ,
पर क्या सिर्फ रिश्ते अधूरापन भर सकते हैं ?
अगर प्यार न हो तो ,
हम ज़िन्दगी जी रहे हैं
न की एक एक दिन काट रहे हैं ,
पर अगर सारी कोशिशों के बावजूद
भी ये अधूरापन न जाये तो ?
रिश्ते को पूरा प्यार ,
पूरा सम्मान दे कर भी
बस तन्हाई और अकेलापन
ही मिले तो ,
आंसुओं का क्या दोष
फिर तो यही हमारी किस्मत
बन जाती है न ,
पर नहीं अब और नहीं
नहीं रोउंगी ,नहीं तरसुंगी
बल्कि खुद को प्यार करुँगी
और यही पूंजी
अपनी बेटी को भी दूंगी /
रेवा
सुन्दर भाव अभिवयक्ति
ReplyDeleteअंतिम निर्णय खुबसूरत -अति उत्तम
ReplyDeleteNew post कुछ पता नहीं !!! ( तृतीय और अंतिम भाग )
New post : शहीद की मज़ार से
पर नहीं अब और नहीं
ReplyDeleteनहीं रोउंगी ,नहीं तरसुंगी
बल्कि खुद को प्यार करुँगी
और यही पूंजी
अपनी बेटी को भी दूंगी /
je baat <3
अनमोल अनुभूति की अद्धभुत अभिव्यक्ति !!
बिलकुल सही खुद और खुद के अपनों से प्यार ,इससे बढ़ कर और कोई पूंजी हो भी नहीं सकती।
ReplyDeleteसादर
सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteवरिष्ठ गणतन्त्रदिवस की अग्रिम शुभकामनाएँ और नेता जी सुभाष को नमन!
shukriya pradeep ji
ReplyDeleteरेवा जी.....
ReplyDeleteहर शब्द में आपने भावों की बहुत गहरी अभिव्यक्ति देने का सफल प्रयास किया है !!
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 22 जनवरी 2022 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति ।
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