आज कर दिया अंतिम संस्कार
मैंने अपनी उम्मीदों का ,
कुछ नहीं बदला
सब वैसे ही चल रहा है
शांत हो गए लोग भी
मोमबतीयाँ जला जला कर
आवाज़ उठा उठा कर ,
कानून मे बदलाव
अभी तक नहीं आया ,
हर जगह वारदाते
हो रही है ,
हद तो ये है की
छोटी बच्चियों तक को
नहीं बख्शते ये वेह्शी ,
उनका बचपन छिन कर
खुद चैन से घूमते हैं ,
पर कब तक ?
रेवा
मैंने अपनी उम्मीदों का ,
कुछ नहीं बदला
सब वैसे ही चल रहा है
शांत हो गए लोग भी
मोमबतीयाँ जला जला कर
आवाज़ उठा उठा कर ,
कानून मे बदलाव
अभी तक नहीं आया ,
हर जगह वारदाते
हो रही है ,
हद तो ये है की
छोटी बच्चियों तक को
नहीं बख्शते ये वेह्शी ,
उनका बचपन छिन कर
खुद चैन से घूमते हैं ,
पर कब तक ?
रेवा
सुन चुके है बहुत किस्से वीरता पुरुषार्थ के
ReplyDeleteहर रोज फिर किसी द्रौपदी का खिंच रहा क्यों चीर है ?
जुल्म, अन्याय को देख कर हम सब खामोश क्यों हो जाते हैं .
अब समय आ गया है की
हम सभी अपने कल को बदलने के लिए प्रयासरत हों .
उनका बचपन छिन कर
ReplyDeleteखुद चैन से घूमते हैं ,
पर कब तक ?
जब तक हम ,
सरकार कुछ करे ,
इसका इंतजार करते रहेगें !!
shukriya yashoda behen
ReplyDeleteकब तक का उत्तर यही है कि जब तक हम खुद को नहीं बदलते तब तक यह सब होता रहेगा :(
ReplyDeleteसादर
उनका बचपन छिन कर
ReplyDeleteखुद चैन से घूमते हैं ,
पर कब तक ?
jab tak janata shasan ki chain chhin na le.
New post कुछ पता नहीं !!! (द्वितीय भाग )
New post: कुछ पता नहीं !!!
प्रभावी प्रस्तुति
ReplyDeleteशर्म आती है अपने पर ओर देश की क़ानून पर ...
ReplyDeleteकब ये सिलसिला खयाम होगा ...
यही एक प्रश्न आ खड़ा होता है आखिर कब तक .... सार्थक प्रस्तुति
ReplyDeleteबेहतरीन अंदाज़..... सुन्दर
ReplyDeleteअभिव्यक्ति....
रेवा जी...
ReplyDeleteअर्थपूर्ण सुन्दर रचना !
बहुत खूब ...बदलाव हमेशा अपने वक्त से ही आएगा
ReplyDeleteविचारणीय ....
ReplyDeleteशैतान कहाँ समझते हैं ....
ReplyDeleteसंवेदनशील प्रस्तुति ...
aap sabka bahut bahut shukriya aur abhar...
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