नहीं रहना मुझे
तन्हा अकेली
बिना तेरी
मौजूदगी के ,
मानती हूँ
सिर्फ जिस्मानी मौजूदगी
मायने नहीं रखती
हम तो रूह से जुड़े हैं
पर फिर भी
नहीं रहना मुझे
तन्हा अकेली ,
सिर्फ तेरी यादों
के सहारे
सिर्फ तेरी बातों
के भरोसे ,
मानती हूँ
कुछ महीनों की
ही बात है ,
पर फिर भी
नहीं रहना मुझे
तन्हा अकेली ,
माना आंसुओं
को जगह नहीं देनी
आँखों मे
ये तेरी इल्तेज़ा थी
पर ये बरबस
तुझे याद करके
बहने लगे तो क्या करूँ ?
कैसे बहलाऊ ?
नहीं रहना मुझे
तन्हा अकेली /
"बिन तेरे सुना है संसार
तू आजा ले के बहार "
रेवा
प्यार का सुन्दर इजहार |
ReplyDeleteनई पोस्ट मैं
BEHAD SUNDAR! Diwali mubarak ho!
ReplyDelete“अजेय-असीम{Unlimited Potential}”
ReplyDeleteसुन्दरतम प्रेमाभिव्यक्ति |
बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की इस प्रविष्टि की चर्चा शनिवार 26/10/2013 को बच्चों को अपना हक़ छोड़ना सिखाना चाहिए..( हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल : 035 )
- पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर ....
Upasna ji shukriya....net ki kharabi kay karan link visit karne mey asamarth hu....
DeleteRajendra ji apka bahut bahut shukriya. ...mera net kam nahi kar raha isliye link visit nahi kar paa rahi
ReplyDeleteप्रेम है तो फिर तन्हाई क्यों रहे ...
ReplyDeleteहर नारी की एक सांचे में तराशी कहानी
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें
दिल को छू लेनेवाली रचना..
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना......................
ReplyDeleteप्यारा लिखा रेवा....
सस्नेह
अनु
aap sabka bahut bahut shukriya
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