इस विरह बेला से
अलबेला रहना ,
लाख कोशिशों
के बावजूद ,
आंसू बन ही गयें हैं
दिल की जुबान ,
हर प्यार भरे गीत पर
हर याद पर
हर बात पर
बरबस गलों को
गिला कर जातें हैं ,
आंसुओं पर
रोक लगाना मुश्किल
होता है न ,
और मेरे लिए
और भी मुश्किल ,
जानते हो न
तुम्हारे जाने से
पहले वाली रात
तुम्हारे कंधे पर
सर रख कर
सिसक उठी थी मैं ,
तुम कुछ न बोल पाए
बस चुप चाप
मेरे बालों को
सहलाते रहे ,
जानती हूँ आसान
तुम्हारे लिए भी नहीं ,
पर मुझे आज
अपना दर्द
ज्यादा महसूस हो रहा है
शायद स्वार्थी हो गयी हूँ मैं
पर तेरे प्यार के लिए !!
रेवा
नवरात्रि की शुभकामनायें आदरणीया-
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति पर बधाई
बहुत सुंदर प्रस्तुति.!
ReplyDeleteनवरात्रि की बहुत बहुत शुभकामनायें-
RECENT POST : पाँच दोहे,
आदरणीया ,सादर प्रणाम |
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत |
प्रेम ....की निरंतर ,नए नए आयामों से .........आराधना |
खूबसूरत अहसास..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना...
ReplyDeleteमन को छूने वाले एहसास...
सस्नेह
अनु
बहुत ही भावपूर्ण रचना...
ReplyDeleteखूबसूरत प्यार का अहसास
ReplyDeleteनवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteबेहद अच्छी रचना रेवा जी
ReplyDeleteभावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....
ReplyDeleteaap sabka bahut bahut shukriya
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