देखा इन दिनों चेहरों पे
नक़ाब कई ,
अपने ,पराये, दोस्त ,दुश्मन
इनमे थे सभी ,
न मांगी थी मैंने
दौलत और शौहरत कभी ,
बस चाह थी थोड़ी सी
मदद प्यार और सहारे कि
पर वो भी न दे सके
ये सभी ,
दुःख हुआ
बहाये आँसूं भी ,
पर अच्छा है
इस मुश्किल घड़ी ने पहचान करा दी सभी की ./
रेवा
नक़ाब कई ,
अपने ,पराये, दोस्त ,दुश्मन
इनमे थे सभी ,
न मांगी थी मैंने
दौलत और शौहरत कभी ,
बस चाह थी थोड़ी सी
मदद प्यार और सहारे कि
पर वो भी न दे सके
ये सभी ,
दुःख हुआ
बहाये आँसूं भी ,
पर अच्छा है
इस मुश्किल घड़ी ने पहचान करा दी सभी की ./
रेवा
Vaaah vaaah kya baat hai :) - Rashi
ReplyDeleteबहुत सही बात कही है आपने। वक़्त पे सब पहचान में आते है।
ReplyDeleteक्या बात है, शानदार जज़्बात
ReplyDeleteठीक वही जो मेरे मन में घुमड़ रहे हैं कई दिनों से। आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Tusharji shukriya
ReplyDeleteचलो एक पड़ाव तुम ये भी पार की
ReplyDeleteनहीं किसी का एहसान ली
हार्दिक शुभकामनायें
very true Rewa......har mod per ye ahsaas hota hai..
ReplyDeleteआड़े वक्त पर ही दोस्तों की पहचान होती है ! भ्रम जितनी जल्दी टूट जायें अच्छा ही होता है ! सार्थक प्रस्तुति !
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शनिवार 05 अप्रेल 2014 को लिंक की जाएगी...............
ReplyDeletehttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in
आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
Shukriya yashoda behen
Deleteसत्य ही ! मुश्किल वक्त अपने पराये , अच्छे बुरे की पहचान कर देता है !
ReplyDeleteसच कहा आपने
ReplyDeleteशानदार कविता रची है आपने।
ReplyDeleteसच कहा है ... समय पहचान करा देता है अपने पराये कि ...
ReplyDeletebahut achha likha hai aapne
ReplyDeleteaap sabka bahut bahut shukriya
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