हँसी आती है अपने हाल पर
विरह से नाता टुटा
पर वेदना ही वेदना है
हर घड़ी हर चाल पर ,
दोष दूँ तक़दीर को या
रोऊँ समय की मार पर ,
या इंतज़ार करूँ की
कब करवट लेगा वो ऊपर वाला
मेरी गुहार पर ……।
रेवा
विरह से नाता टुटा
पर वेदना ही वेदना है
हर घड़ी हर चाल पर ,
दोष दूँ तक़दीर को या
रोऊँ समय की मार पर ,
या इंतज़ार करूँ की
कब करवट लेगा वो ऊपर वाला
मेरी गुहार पर ……।
रेवा
हँसते हुए देखो उगते सूरज को......
ReplyDeleteभीगी आँखें दृष्टि धूमिल कर देती हैं.......
सस्नेह
अनु
Touching ......
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी !
ReplyDeleteकोई पल स्थायी नहीं होता ...... बस इतना याद रखना चाहिए
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें
Shukriya Tusharji
ReplyDeleteबहुत मर्मस्पर्शी...
ReplyDeleteज़िन्दगी इंतज़ार का दूसरा नाम
ReplyDeleteusko bhio sudh aayegi ek din ....bharosa rakhiye
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteIt is the best time to make some plans for the longer term and it is time to be happy.
ReplyDeleteI've learn this publish and if I may just I wish to recommend you
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