कागज़ पर सुनहरे
हर्फों से हम अपने
एहसास बिखेरते हैं ,
जो शब्दों द्वारा
दिल तक पहुँचते हैं ,
सृजन कर्ता के लिए
उसकी हर कृति
उसके बच्चे के समान होती है ,
जो उसके दिल के
बहुत करीब होती है ,
जैसे एक ही माँ के सब बच्चे
एक सामान नहीं होते
वैसे ही रचनाकार की रचना ,
पर कोशिश हमेशा रहती है
श्रेष्ठ लिखने की ..........
"एहसासों के मोती से
पिरोयी है मैंने शब्दों की माला ,
प्यार भरी रचनाओं से
आला मैंने भर डाला "
रेवा
बहुत सुन्दर और सटीक प्रस्तुति...
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 18-12-2014 को चर्चा मंच पर क्रूरता का चरम {चर्चा - 1831 } में दिया गया है
ReplyDeleteआभार
shukriya dilbag ji
Deleteखूबसूरत और भावपूर्ण अभिव्यक्ति
ReplyDeletesahi kaha sundar abhivyakti
ReplyDeleteहुत कुछ तलाशती हुयी रचना है कमाल का शब्द संयोजन.... लाजवाब रचना...
ReplyDeleteshukriya sanjay...tumhare comments hamesha mujhe protsahit karte hain
Deleteबहुत ही सुंदर रचना ।।
ReplyDeleteshukriya kamlesh ji
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा आपने
ReplyDeleteBahut sahi....sunder
ReplyDeleteshukriya Lekhika ji
Deletemujhko yah rachna ruchi.
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