दिखावे की हँसी
तो हर कोई हँस लेता है
पर जब मन हँसता है
तो वो हँसी आँखों मे झलकती है
और ढुलक जाती है
ख़ुशी बन कर ……
हर सुबह ऐसी ही
हँसी तुम्हे देने की कोशीश है .......
मुस्कुराता हुआ तेरा चेहरा
हथेलियों मे भर कर ,
ख़ुशी के फूलों से आँगन
मेहकाने की ख्वाइश है………
रेवा
वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (06-12-2014) को "पता है ६ दिसंबर..." (चर्चा-1819) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सभी पाठकों को हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
shukriya Mayank ji
Deleteवाह..बहुत सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteshukriya yashoda behen
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteshukriya Kailash ji
ReplyDeleteरेवा जी बेहद उम्दा प्रस्तुति ।।
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