तुझे सोचते सोचते
न जाने कब
ये आँखें बहने लगी ,
दुःख से नहीं
शायद तेरे प्यार को
सम्भाल पाने मे
असमर्थ थी ,
इसलिए तो मोती बन कर
इज़हार करने लगी ,
मन तो हुआ के
अभी आकर
तुझे बाँहों मे भर लूँ ,
जानती हूँ नहीं कर सकती ऐसा
पर ख्यालों मे तो तुम्हे
अपने आगोश मे भर कर
प्यार कर सकती हूँ न ,
और अपने मोतियों से
तेरा दामन
भर सकती हूँ न ..........
"मौसम की तरह नहीं हूँ
मैं बेईमान ,
तुझसे प्यार किया है मैंने
तू है मेरी जान "
रेवा
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteshukriya suman ji
Deleteबहुत सुन्दर .
ReplyDeleteनई पोस्ट : वह उपहार देने स्वर्ग से आता है
नई पोस्ट : कौन सी दस्तक
Shukriya ravikar ji
ReplyDeleteआँसू दुख में ही नहीं सुख में भी बहते हैं, सुंदर प्रस्तुति ॥
ReplyDeleteShukriya neeraj ji
Delete