आज पता नहीं क्या हुआ ?
पर बहुत दिनों बाद
खुद से मुलाकात हुई
थोड़ी ही सही
पर अपने आप से
बात हुई
खुश हुई
रोई भी बहुत
पर अंत तः
एक शून्य सा
महसूस हुआ
जिसमे न कोई सोच
न गिला न शिकवा
पर ये शुन्य
अन्दर तक
सुकून दे गया मुझे,
लेकिन ये क्या
अगले ही क्षण
फिर शुरुआत हो गयी
एक नए मैं की…
रेवा
पर बहुत दिनों बाद
खुद से मुलाकात हुई
थोड़ी ही सही
पर अपने आप से
बात हुई
खुश हुई
रोई भी बहुत
पर अंत तः
एक शून्य सा
महसूस हुआ
जिसमे न कोई सोच
न गिला न शिकवा
पर ये शुन्य
अन्दर तक
सुकून दे गया मुझे,
लेकिन ये क्या
अगले ही क्षण
फिर शुरुआत हो गयी
एक नए मैं की…
रेवा
बहुत सुन्दर .
ReplyDeleteनई पोस्ट : तेरी आँखें
shukriya Rajeev ji
Deleteसार्थक प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (14-01-2015) को अधजल गगरी छलकत जाये प्राणप्रिये..; चर्चा मंच 1857 पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
उल्लास और उमंग के पर्व
लोहड़ी और मकरसंक्रान्ति की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
shukriya Mayank ji
ReplyDeleteमै के बिना शून्य विस्तार लेता है...सुन्दर रचना...
ReplyDelete- वाणभट्ट
shukriya Vanbhatt ji
Deleteकुछ क्षणों के लिए भी स्वयं से मुलाक़ात होना बहुत बड़ी बात है.... वैसे प्रकृति का नियम ऐसा ही है कि "मै " बार बार सर उठाकर सामने आ जाता हाइया ॥ सुंदर रचना ...
ReplyDeleteshukriya Neeraj kumar ji
Delete
ReplyDeleteशब्दों का महाजाल स्वयं को समझने में कम ही मदद करता है लेकिन शुरुआत तो इसी से करनी पड़ती है....शब्दों के माध्यम से खुद की तलाश बहुत अच्छी लगी बहुत सुंदर कविता लिखी है आपने
shukriya Sanjay
Deleteमैं के बिना जिंदगी भी कहाँ रह पाती है ... जरूरी है खुद का एहसास होना ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeletekhud ko jaanna behtar !!
ReplyDeletebahut sundar...
ReplyDeleteBahut sunder yun b kabhi aapne aap se milna acha lagta...
ReplyDeleteरेचन हो गया.
ReplyDeleteसुकून देता है आसुओं का सैलाब.
Nicely written.
ReplyDeleteVinnie Pandit
shukriya vinnie ji
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteआज 22/जनवरी/2015 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद!
Shukriya yashwant bhai
Deleteसुन्दर रचना
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